फिर
भूल जायेंगे.
आओ आओ !
तुमलोग भी आओ.
सब मिल के
इसे मुर्दा साबित करने के आयोजन में शामिल हो जाओ.
क्या? इसकी सांस चल रही है!
यह जरुर
किसी हिंदी-मीडियम स्कूल से पढ़े डॉक्टर की चाल है....
वो रहा
कान्वेंट-स्कूल से निकला डॉक्टर-
"सी ब्रो!
सी इज डेड न? इफ नोट देन डू something
टू किल हर...फ़ास्ट ...फ़ास्ट.."
हाँ भाई.
हिंदी हमारी मातृभाषा है.
कुछ पिछड़े
राज्यों की राजभाषा भी है.
मगर
राष्ट्रभाषा?
यह कॉलम तो
कब से खाली पडा हुआ है हमारे देश के संविधान में.
यकीन नहीं
तो google
कर के देख लो.
जी हाँ. भारत यानि इंडिया की राष्ट्रभाषा हिंदी नहीं है.
जी हाँ. भारत यानि इंडिया की राष्ट्रभाषा हिंदी नहीं है.
"तो
कब तक हमें हमारी राष्ट्रभाषा मिलेगी?"
"जब
हिंदी मध्यम स्कूल से पढ़ कर निकलने वाले लोग सिर्फ मजदूर तबके तक ही रह जायेंगे. मध्यम और उच्च वर्ग वाले परिवारों के बच्चे सिर्फ कान्वेंट स्कूल में ही भेजे जायेंगे.
अंग्रेजी स्कूल से निकलने वाले छात्रो की संख्या 90 फीसदी हो जायेगी. हिंदी अखबार की जगह अंग्रेजी newspaper
घर घर की शान बढ़ाएंगे और बॉलीवुड से भी अंग्रेजी फिल्मे
बनने लगेंगी....तब!"
"मतलब
अंग्रेजी ही हमारी राष्ट्रभाषा बनेगी?"
"आपको
लगता है क्या कि बचे-खुचे हिन्दीभाषी भी अंग्रेजी के चमचे नहीं हैं?"
**********
- नहीं
नहीं आप बताइए कि अंग्रेजी जाने बिना आप क्या क्या कर सकते हैं?
- कल को
गए अगर आपको विदेश जाना पड़ा तो कैसे होगा?
- विदेश
छोडिये , इंडिया
के ही दुसरे राज्य में जाना पड़ा तो कैसे होगा?
- अगर
आपको साइंस पढना है तो जनाब हिंदी में तो किताबे ही उपलब्ध नहीं?
- अगर आप
मेडिकल या इंजीनियरिंग में दाखिला लेंगे तो viva-प्रेजेंटेशन-नोट्स इनमे कही भी हिंदी के शब्द देखते ही
आपको फेल कर दिया जाएगा.
- किसी
भी डॉक्टर की पर्ची हिंदी में लिखी हुई मिली है आपको?
- एयरफोर्स
हो या बैंकिंग की परीक्षा- बिना अंग्रेजी के कोई पास हुआ है आजतक?
- कचहरी
के कुच्छ -कुच्छ -तुच्छ काम तो फिर भी हिंदी में होने लगे हैं. मगर
किसी भी एअरपोर्ट या फाइव स्टार होटल के वेटर को हिंदी में comfortable
होते देखा है आपने?
- फाइव
स्टार होटल का मालिक से लेकर वेटर और यहाँ तक ग्राहक भी हिन्दीभाषी ही होते
हैं,
मगर न जाने क्या हो जाता है होटल में
घुसते ही; कि सब अपने अंग्रेजी ज्ञान पे इतराते और हिंदी को 'गरीबो की भाषा' की नज़र से धिक्कारते नज़र आते हैं. अब आप अंग्रेजी नहीं
जानियेगा तो ऐसे में अपनी बेईज्ज़ती ही न करवाईयेगा. बोलिए!
- "माना कि मुश्किल से 5% लोग ही विदेश जा पाते हैं. और वो भी जरुरी नहीं कि
अंग्रेजी बोले जाने वाले देश में ही जाएँ. जेर्मनी , रूस , फ्रांस, चीन इत्यादि देशो की भाषा क्यों नहीं सीखते आप. सिर्फ
अंग्रेजी ही क्यों? क्योकि हम अंग्रेजो के गुलाम थे?"
-ऐसे तर्क सिर्फ आपके सेल्फ-डिफेंस के
कुतर्क मात्र हैं. मैं नहीं मानता. आपके कहने से थोड़े न होता है. मेरे
कान्वेंट स्कूल की मैडम ने तो हमें ये नहीं पढाया था! अच्छा रुकिए पूछ के
बताते हैं...
- किसी
भी हॉस्पिटल में चले जाइए, जितनी भी दवाएं हैं सब के नाम अंग्रेजी में. भले उनकी
फैक्ट्री हिमाचल प्रदेश के किसी गाँव में हो. और जितने भी लैब-रिपोर्ट हैं सब
के सब.....खैर.
- जब भी
दो बंगाली मिलते हैं, बंगला में ही बात करेंगे. चाहे वे एअरपोर्ट पे हो या लन्दन में. यही बात
अन्य दक्षिण-भारतीय लोगो में भी मिलती है. मगर हिंदी वाले? भाई हमारी सोच ही ऐसी है. वेटर से या डॉक्टर से, कभी कभी तो बस के कंडक्टर से भी अंग्रेजी में बात करके
हमारे आत्मसम्मान की वृद्धि होती है. और सामनेवाला भी तो फिर हमें
इज्ज़त भरी निगाह से देखने लगता है. तो अंग्रेजी के चार शब्द ही आपको इतनी
इज्ज़त दिला देते हैं जितना कि आपकी लाखो की संपति ना दिला पाए. अब बोलिए?
- क्या
आपने कभी सुना है कि चाइना में स्कूल में बच्चो को चाइनीज़ बोलने पे फाइन लगा
हो?
मगर अपने यहाँ लगता है. हिंदी बोलने
पे.
- क्या
आपने कभी गौर किया है कि -उर्दू में अगर कोई शब्द नहीं मिले तो लोग
हिंदी से शब्द उधार लेने की बजाय अंग्रेजी से शब्द भीख मांग लेते हैं. यकीं
नहीं! कोई भी उर्दू समाचार सुन लीजिये- रेडिओ या टीवी पर.
- क्या
हर धर्म की अपनी भाषा भी होती है? मतलब भगवान् को सिर्फ एक-दो भाषाओं का ज्ञान होता है? तो फिर धर्म-परिवर्तित होते ही लोग नाम क्यों बदल लेते
हैं?
जैसे इस्लाम कुबूल करते ही लोग
इस्माइल या वकार....क्रिस्चियन बनते ही विलियम या जॉर्ज ....नाम और भाषा धर्म
मार्ग से स्वर्ग जाने के लिए पासपोर्ट जैसा है क्या ?
**********
हिंदी को मुर्दा साबित करने के आन्दोलन तेज़ होते जा रहे
हैं.
कुछ अवशेष बचे हैं, जल्द ही उनका श्राद्ध किया जायेगा.
14सितम्बर को पुण्यतिथि मनायी जायेगी.
बड़ी जीवट और मजबूत है- साली मरती ही नहीं!
अच्छा अगले साल तक तो पक्का.
वैसे मिशन 2020 तो है ही.
तब तक के लिए.....
ABCD वाले हिंदी फिल्मो के हिंदी-रहित अंग्रेजी रैप वाले गानों
का मज़ा लीजिये.
subtitle
के साथ!
अर्थी तैयार है.लीजिये दो फूल आप भी चढाते हुए फेंक
आइये....
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