Saturday, November 11, 2017

ल.प्रे.क.11: फ़र्स्ट फ्लाइट

फ्लाइट से पहली दफ़ा सफर कर रहा था वह। उल्लास और रोमांच के साथ हर छोटे observation को सहेज रहा था किसी को बताने के लिए, जैसे कोई उपलब्धि हो।

अचानक प्लेन में थोड़ी हलचल हुई।
'मौसम की खराबी होगी' - एक सहयात्री ने अपना अनुभव जताना चाहा। यूजर्स मैनुअल में सुरक्षा निर्देश पढ़ते हुए दूसरे सहयात्री ने अपने नौ सीखिए होने की घोषणा कर दी थी। एयर होस्टेस की बिकाऊ मुस्कान के बीच छुपने की कोशिश कर रही चिंता को ताड़ कर पड़ोसी अंकल बुदबुदा रहे थे - 'ट्रेन एक्सिडेंट मे तो फिर भी बचने की गुंजाइश होती है पर ... '

मगर उसे अलग ही किस्म की चिंता हो रही थी -
'क्या वो कभी जान भी पाएगी कि मरने के ठीक पहले मैं उसके बारे में ही सोच रहा था? और पता नहीं कितने दिनों के बाद उसे मेरे मरने की खबर मिलेगी, शायद ना भी मिले! पता नहीं वो कब तक मेरा इंतजार करती रह जाएगी....'

मोबाइल के ड्राफ्ट में यह कहानी save करते हुए उसने खुद से कहा - अगर बच गया तो दुबारा कभी हवाई जहाज की सवारी नहीं करेगा। मगर रिश्ते के शुरुआती दौर में लोग ना जाने ऐसी कितनी कसमें खा कर भूल जाते हैं जैसे कि....।

Ⓒ Govind Madhaw

No comments:

Post a Comment